Tuesday, July 14, 2020

Bakra Eid

Bakra Eid Celebration

“ बकरा ईद "

मुसलमानों का एक प्रसिद्द त्यौहार है “ बकरीद "
इसे 'ईद-उल-ज़ुहा' या 'ईद-उल-अज़हा' के नाम से भी जानते हैं , ये एक कुर्बानी का प्रतीक त्योहार है। 

हर साल मुस्लिम ये त्योहार मुस्लिम माह जुल हिज्जा के दसवें दिन मनाया जाता है। 

इस दिन की तैयारी काफी दिनों पहले से शुरू हो जाती है , घर के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े खरीदे जाते हैं और कुर्बानी के लिए बकरा खरीदा जाता है। 

माना जाता है कि पैगंबर हज़रत इब्राहीम को ईश्वर की ओर से हुक्म आया कि वह अपनी सबसे अधिक प्यारी वस्तु की कुर्बानी दे। हज़रत के लिए उनका बेटा सबसे अधिक प्यारा था। ईश्वर का हुक्म उनके लिए पत्थर की लकीर था। 

वह उसे मानने के लिए तैयार थे। कुर्बानी से पहले उन्होंने इस विषय पर बेटे से बात की। बेटे ने पिता के फैसले को सही बताया और हँसते-हँसते कुर्बान हो गया। पिता और बेटे की भक्ति देखकर ईश्वर प्रसन्न हुए और उन्होंने हज़रत के बेटे को जीवनदान दिया। तबसे लेकर आज तक इसे मनाया जाता है।

मगर एक और बात जिसे आज मुस्लिम समाज अनदेखा कर रहा है , वह यह है कि हजरत मोहम्मद जी ने अपनी प्यारी वस्तु की कुर्बानी दी थी जो कि उनका बेटा था , 
और उस समय उनके द्वारा दी हुई कुर्बानी ईश्वर में आस्था का प्रतीक थी।

उन्होंने ना तो कभी गोश्त खाया और ना ही उनके अनुयायियों ने कभी गोश्त खाया। 
                       
BakraEid
Reality-BakraEid

आज मुस्लिम धर्म में बकरीद पर बकरा खरीद कर उसे काटकर प्रसाद बनाया जाता है तीन भागों में बांट कर उसे खाते हैं , मगर क्या हजरत मोहम्मद जी ने बकरे को काटकर खाया था.?? 

ऐसा बिल्कुल नहीं है ,हजरत मोहम्मद जी को कुर्बानी देने के लिए सिर्फ इसलिए बोला गया था क्योंकि ईश्वर उनकी अपने प्रति आस्था देखना चाहते थे कि कहीं उनका मोह अपने अल्लाह से ज्यादा किसी और वस्तु में तो नहीं है , हजरत मोहम्मद जी सफल हुए। 

हम कहते हैं कि ईश्वर दयालु है वह हमारे दुखों को दूर करता है , वह ईश्वर दयालु नहीं हो सकता जो किसी को दुख दे। 

हजरत मोहम्मद जी ने अपने जीवन में कभी गाय नहीं खाया और ना ही कोई बकरा खाया था। 

दूसरी बात मुस्लिम धर्म मैं यह बात कहीं जाती है क्या ईश्वर आकार में नहीं है उसे देखा नहीं जा सकता। 
जबकि यह सच नहीं है। 

वास्तव में तो पूर्ण परमात्मा सच्चे अल्लाह की भक्ति तो हजरत मोहम्मद जी को भी नहीं मिली थी। पवित्र कुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयात नंबर 52 से लेकर 59 तक सृष्टि रचना का प्रमाण है जिसमें खुदा ने कहा है कि ,

हम मनुष्य को अपने ही स्वरूप पर बनाएं। 
और उस अल्लाह ने सच्चे खुदा ने ईश्वर ने मनुष्य को अपने ही जैसा बनाया नर नारी करके उसकी सृष्टि की। 

इसी अध्याय शुरु फुरकान 25 में 52 से लेकर 58 तक यह भी कहा गया है कि अल्लाह ने सभी मनुष्यों को दयावान होने के लिए कहा सभी जीवो पर दया करने के आदेश दिए वह रहमान हैं , उस सच्चे खुदा ने कभी किसी को गोश्त खाने या किसी जीव की हत्या करने का आदेश नहीं दिया। 
                                  
BakraEid
BakraEid Celebration

कुछ जीभ के स्वार्थी लोगों का यह मांस खाने के लिए रचाया हुआ षड्यंत्र हैं। 
किसी जीव की हत्या करना अल्लाह के आदेश के विरुद्ध है इसके लिए बहुत भयंकर सजा मिलती है। 

असल में जो अल्लाह है पूर्ण परमात्मा है उसकी जानकारी के लिए तो किसी बा खबर संत की तलाश करने के लिए कहा गया है। 

ऐसा बा खबर संत जो शास्त्रों के अनुसार ज्ञान दें और जिसके द्वारा दी हुई भक्ति से लाभ मिले। 
आज वर्तमान में इस धरती पर केवल सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ही ऐसे संत हैं जो सभी शास्त्रों के अनुसार प्रमाण देकर ज्ञान देते हैं और उनके द्वारा बताइए भक्ति से शारीरिक मानसिक और भौतिक लाभ आध्यात्मिक लाभ भी मिलते रहते हैं। 

इसलिए आज वर्तमान में सिर्फ संत रामपाल जी महाराज है एकमात्र बा खबर संत हैं , संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने से ही पूर्ण मुक्ति प्राप्त होगी जहां जाकर सभी सुख मिलते हैं और पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है जिसके बाद इंसान लौटकर इस गंदे लोक में वापस नहीं आता। 

 अधिक जानकारी के लिए कृपया अवश्य पढ़ें पुस्तक



सभी धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पूर्ण परमात्मा की जानकारी के लिए रोजाना देखिए पवित्र चैनल साधना टीवी शाम 7:30 से। 

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